प्लेन में सवार थे 121 पैसेंजर्स | Helios Flight 522 Accident

INTRODUCTION

आज जो केस स्टडी हम आपको दिखाने वाले है उसे देख कर भी शायद आपको इसपर यकीन नहीं आएगा। 

34000 फ़ीट की उचाई पर उड़ते हुए प्लेन में ऐसा क्या हुआ की अचानक बिना किसी आवाज़ और हिलेडुले सभी पैसेंजर्स और पायलट लाश में बदल गए। 

क्यों fighter planes को इस विमान को मार गिराने का आदेश दिया गया।

क्या विमान को किसी अनजान ताक़त ने काबू कर लिया था , या ये कोई आतंकी साजिश थी।

देखने सुंनने में ये कोई थ्रिलर फिल्म की कहानी लगती है , लेकिन यकीन मानिये इस सच्चे हादसे ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था।

एविएशन दुनिया की  इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना के बारे में जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ

CASE STUDY

14 August 2005 , Cyprus का Larnaca International Airport.

रात  के लगभग 1 बजकर 25 मिनट पर Helios Airways की फ्लाइट JU 522,  london से उड़ कर Larnaca Airport पर लैंड करती है।

फ्लाइट के टर्मिनल पर पहुंचने के बाद , फ्लाइट क्रू मेंबर एयरपोर्ट ग्राउंड  स्टाफ को प्लेन के सर्विस दरवाज़े से आ रही किसी अजीब तरह की आवाज़ की शिकायत करते है और ग्राउंड engineer से पुरे प्लेन की अच्छी तरह से जांच करने को कहते है।

इसके बाद ground engineer प्लेन को manually pressurerize करके उसमे किसी भी तरह के leakage को चेक करता हैं और अपनी रिपोर्ट में प्लेन में किसी भी तरह की खराबी से इनकार करता है।

Olympia के नाम से रजिस्टर्ड , लगभग 7 साल पुराना Boeing 737 का ये प्लेन 16 April 2004 में Helious Airways में शामिल किया गया था

ये सभी जांच पूरी होने की बाद, ये प्लेन अपनी अगली उड़ान की तैयारी शुरू करता है।  अपनी अगली उड़ान के लिए प्लेन को  Larnaca Airport से Greece के Athens International Airport जाना था , जिसके लिए नए क्रू मेंबर्स और पायलट्स को नियुक्त किया गया था।  इस उड़ान के लिए प्लेन में 115 यात्रिओं के साथ 6 क्रू मेंबर्स सवार थे।

प्लेन का नेतृत्व 58 वर्षीय German pilot Hans-Jürgen Merten कर रहे थे, जो पिछले 35 वर्षो से Helios Airways के साथ ही काम कर रहे थे।  Captain Hans-Jürgen Merten के पास कुल मिला कर 16900 घंटो का फ्लाइंग अनुभव था , जिसमे 5500 घंटो का अनुभव इसी तरह के Boeing 737 प्लेन को उड़ाने का था।

फर्स्ट officer के तोर पर 51 वर्षीय  पायलट Pampos Charalambous को नियुक्त किया था, जो पिछले 5 सालो से Helios Airways के साथ काम कर रहे थे।  First Office Pampos Charalambous के पास भी 7549 घंटो का फ्लाइंग अनुभव था।

सुबह के लगभग 8 बजे,  धीरे धीरे सभी यात्रिओं के सवार होने के बाद Helios फ्लाइट अपना roll off process शुरू करती है और टैक्सी वे से होते हुए फ्लाइट रनवे पर पहुँचती है

सभी pre flight checkes complete करने के बाद लगभग 9 बजकर 7 मिनट पर Helios फ्लाइट Larnaca International Airport से टेकऑफ करती है।

मौसम बिलकुल साफ़ था और सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा था।  अपने फ्लाइट रूट को फॉलो करते हुए प्लेन mediterranen समुन्दर के ऊपर से उड़ते हुए अपनी निर्धारित हाइट की तरफ बढ़ता है। 

Larnaca से Athens International Airport तक की ये दूरी Helious flight को लगभग 1 घंटे 23 मिनट में  पूरी करनी थी और धीरे धीरे हाइट बढ़ाता हुआ प्लेन अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा था। 

takeoff के लगभग 10  मिनट बाद प्लेन जब 12000 फ़ीट की उचाई पर पहुँचता है तो तभी अचानक कॉकपिट में Cabin Pressure Warning अलार्म बजने लगता है।  और आमतौर पर इस अलार्म का मतलब पायलट को ये बताना होता है की प्लेन के केबिन प्रेशर सिस्टम में कुछ खराबी है और इसलिए पायलट को प्लेन की हाइट और नहीं बढ़ानी चाहिए।

लेकिन बदकिस्मती से पायलट इस warning alarm को सही तरीके से नहीं समज पाएं और उन्हें लगा की ये फ्लाइट टेकऑफ configuration वार्निंग अलार्म है जिसे फ्लाइट के टेकऑफ से पहले बजना चाहिए था,  ना की टेकऑफ के 10 मिनट बाद।

 टेकऑफ configuration वार्निंग अलार्म आमतोर पर टेकऑफ से पहले बजता है जिसका मक़सद पायलट्स को ये बताना होता है की प्लेन को टेकऑफ के लिए सही तरीके से configure नहीं किया गया है इसलिए उनके टेकऑफ को रोक कर सभी फ्लाइट चेक दोबारा पूरे करने चाहिए। लेकिन यहाँ तो प्लेन पहले ही टेकऑफ करके 12000 फ़ीट की उचाई पर पहुँच चूका था , तो अब ये अलार्म क्यों बज रहा है ? ये सोच सोच कर पायलट्स की confusion और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और प्लेन अभी भी ऊपर की तरफ climb करता जा रहा था।

और अगले कुछ ही मिनटों में एक एक करके कॉकपिट में  बहुत सारे वार्निंग अलार्म बजने शुरू हो गए।  

Cabin Pressure Warning अलार्म के कारण पहले से ही परेशान दोनों पायलट्स अब इन नए वार्निंग alarms को ढीक करने की कोशिश में लग जाते है , और काफी मस्क़त करने के बावजूद भी जब दोनों पायलट्स इन वार्निंग alarms को ढीक नहीं कर पाते तो वो फाइनली Helious maintenance टीम को मदद के लिए कॉल करते है।

अब तक प्लेन 18000 फ़ीट की उचाई तक पहुँच चूका था. पायलट्स अभी maintenance टीम को अपनी प्रॉब्लम समझाने की कोशिश कर ही रहे थे की तभी अचानक पैसेंजर ऑक्सीजन अलार्म बजने लगता है और देखते ही देखते पैसेंजर केबिन में ऑक्सीजन मास्क लटकने लगते है।

लेकिन कॉकपिट में पायलट्स को अभी तक भी इस बात की जानकारी नहीं थी की पैसेंजर केबिन में ऑक्सीजन मास्क लटक चुके है।  पायलट्स अभी भी इसे लैंडिंग configuartion warning मैसेज समझ कर सर्विस टीम से इसे ढीक करने की जानकारी मांग रहे थे।

कुछ देर बाद सर्विस टीम पायलट्स की कॉल को प्लेन के ग्राउंड इंजीनियर से कनेक्ट करती है. ग्राउंड इंजीनियर जब पायलट्स से प्लेन में आ रही खराबी की जानकारी मांगता है तो पायलट्स कहते है की उन्हें ऐसा लग रहा है की प्लेन को वेंटिलेशन कूलिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा है।

ये सुन कर इंजीनियर पायलट्स को प्लेन का pressurization बटन चेक करने के लिए कहता है और पूछता है की क्या ये बटन auto mode पर set है या नहीं।

लेकिन कॉकपिट में बज रहे अलग अलग वार्निंग मैसेज से परेशान पायलट्स सर्विस इंजीनियर के इस सवाल को अनसुना कर देते है और दोबारा उससे  वेंटिलेशन कूलिंग सिस्टम को ढीक करने की जानकारी मांगते है.

और इसके बाद अचानक पायलट्स और सर्विस इंजीनियर की बातचीत बंद हो जाती है।  ग्राउंड सर्विस टीम और ATC बार बार पायलट्स से contact करने की कोशिश करते है लेकिन पायलट्स की तरफ से कोई जवाब नहीं आता

अपने निर्धारित रूट प्लान के अनुसार प्लेन अभी भी अपनी हाइट बढ़ाता जा रहा था और 34000 फ़ीट  की उचाई पर पहुँच कर प्लेन अभी भी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा था।

 सुबह के 9 बजकर 30 मिनट पर ATC फिर से पायलट्स को contact करने की कोशिश करता है लेकिन अभी भी कोई जवाब नहीं आता।

9 बजकर 37 मिनट पर प्लेन Cyprus के एयरस्पेस से निकल कर Athens के एयरस्पेस में दाखिल होता है।  आमतौर पर प्लेन जब एक एयरस्पेस से दूसरे एयरस्पेस में जाता है तो पायलट्स नए एयरस्पेस के ATC टावर को contact करके इसकी जानकारी देते है, लेकिन इस प्लेन के पायलट्स ने ATC से किसी तरह का कोई कांटेक्ट नहीं किया।

बिना कोई कांटेक्ट किये , अपने निर्धारित रूट को फॉलो करते हुए प्लेन अभी भी 34000 फ़ीट की उचाई पर उड़ता जा रहा था।  10 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 50 मिनट के बीच में 19 बार प्लेन से कांटेक्ट करने की कोशिश की गयी लेकिन दुर्भाग्य से किसी भी बार पायलट्स की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।

10 बजकर 40 मिनट पर 35000 फ़ीट की उचाई पर उड़ता हुआ प्लेन Athens एयरपोर्ट द्वारा निर्धारित होल्डिंग pattern को follow करता हुआ उसके चक्कर लगाने लगता है। बार बार कोशिश के बावजूद भी जब प्लेन के पायलट्स से कोई contact नहीं होता तो पास के ही Hellenic airforce station से दो F -16 लड़ाकू जहाज़ों को helios प्लेन के पास जा कर उसे चेक करने के लिए भेजा जाता है।

लगभग 11 बजकर 24 मिनट पर दोनों फाइटर प्लेन helios फ्लाइट के पास पहुँच जाते है जिसके बाद एक फाइटर प्लेन helios फ्लाइट के पीछे पीछे उड़ने लगता है जबकि दूसरा फाइटर प्लेन उसके साथ उड़ कर प्लेन में झाकने की कोशिश करता है।

प्लेन में झाकने पर फाइटर पायलट देखता है की first officer अपनी सीट पर बेसूद पड़ा हुआ है और  captain की सीट खाली पड़ी हुई है।

फाइटर पायलट तब थोड़ा और नजदीक आ कर पैसेंजर केबिन की खिड़की में देखने की कोशिश करता है।  वो देखता है की सभी पैसेंजर अपनी सीट पर तो है लेकिन किसी भी पैसेंजर में कोई हलचल नहीं हो रही है।

पैसेंजर केबिन में ऑक्सीजन masks भी लटक रहे थे लेकिन किसी भी पैसेंजर ने ऑक्सीजन मास्क नहीं पहने थे। 

तभी अचानक फाइटर पायलट Helios प्लेन के कॉकपिट में बिना मास्क पहने हुए किसी अनजान आदमी को आते हुए देखता है जो कप्तान की सीट पर जा कर बैठ जाता है।

ये देख कर फाइटर पायलट helios प्लेन के थोड़ा और नज़दीक जा उस इंसान का ध्यान अपनी और खींचने की कोशिश करता है, लेकिन बेसुधी की हालत में वो अजनबी इंसान फाइटर प्लेन की तरफ कोई ध्यान नहीं देता।

लगभग 11 बजकर 50 मिनट पर इसी तरह अपने आप उड़ते हुए helios प्लेन के बाई इंजन से धुआं निकलने लगता है और कुछ देर बाद बाएं इंजन के बंद होने के साथ ही प्लेन एक तरफ झुकने लगता है

लगभग 11 बजकर 54 मिनट पर फ्लाइट के कॉकपिट voice recorder में 2 बार MAYDAY मैसेज रिकॉर्ड होते है। 

और लगभग 12 बजे जब प्लेन 7100 फ़ीट की उचाई पर उड़ रहा था तो तभी बाएं इंजन के साथ साथ दायां इंजन भी fuel खत्म होने के कारण बंद हो जाता है।

दोनों इंजन के बंद होते ही प्लेन तेज़ी से निचे आना लगता है और 12 बजकर 4 मिनट पर Athenes एयरपोर्ट से लगभग 40 किलोमीटर दूर Grammatiko के नजदीक पहाडिओ में क्रैश हो जाता है।  दुर्भाग्य से प्लेन में सवार सभी लोगो की इस हादसे में मौत हो जाती है।

Greece के इतिहास में ये सबसे बड़ी और दर्दनाक हवाई दुर्घटना थी और तुरंत ही इसकी जांच शुरू कर दी गयी।

जांच के दौरान investigator को पता चलता है की अपनी इस दुर्गभाग्यपूर्ण फ्लाइट से पहले रात को ये प्लेन जब लंदन से Larnaca International Airport पहुंचा था तो उस  फ्लाइट के क्रू मेंबर्स ने प्लेन के right साइड के service door में अजीब तरह की आवाज़ और door seal के जाम होने की शिकायत ग्राउंड सर्विस स्टाफ से की थी और उनसे कहा था की प्लेन की अच्छी तरह पूरी जांच की जाये।

इस शिकायत के मद्देनज़र ground इंजीनियर प्लेन को manually pressurize करके किसी भी संभावित लीक की जांच करता है।  ये जांच  करने के लिए इंजीनियर प्लेन के pressurization बटन को ऑटो mode से manual mode में set करता है और प्लेन के APU पावर की मदद से प्लेन में हवा का दबाव बनाता है ताकि किसी भी तरह की लीकेज का पता लगाया जा सके।

Pressurization जांच पूरी होने के बाद प्लेन के pressurization बटन को दोबारा manual मोड से हटा कर auto मोड में set करना होता है , लेकिन दुर्भाग्य से इंजीनियर pressurization बटन को auto मोड में set करना भूल जाता है।

आमतोर पर इसी auto mode के कारण कोई भी प्लेन जब उचाई पर जाता है और केबिन में  हवा का दबाव कम हो जाता है तो ये बटन आटोमेटिक तरीके से प्लेन के केबिन  में हवा का दबाव बनाये रखता है ताकि प्लेन में सवार सभी पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स आराम से सांस ले सके। और अगर किसी कारण से ये बटन manual mode पर set होता है तो ये पायलट्स की जिम्मेदारी होती है की प्लेन में हवा का दबाव मैन्युअल तरीके से बनाये रखे।

Standard प्रोसेस के अनुसार किसी भी फ्लाइट से पहले पायलट्स तीन अलग अलग  चेकिंग चरणों के दौरान इस बटन करते है, Pre Flight Checks , After Start Check और After Takeoff Check .

लेकिन दुर्भाग्य से helios फ्लाइट के पायलट्स ने भी इन तीनो चरणों कि जांच  के दौरान pressurization बटन को चेक नहीं किया और ये बटन मैन्युअल मोड में ही रह गया।

इसलिए टेकऑफ के बाद जैसे जैसे helios फ्लाइट उचाई पर जाती गई , प्लेन के केबिन में हवा का दबाव कम होता चला गया। प्लेन में हवा का दबाव कम होते ही प्लेन के कंप्यूटर ने कॉकपिट में cabin pressure वार्निंग मैसेज देना शुरू कर दिया था , लेकिन दुर्भाग्य से यहां भी पायलट्स इस वार्निंग मैसेज को अच्छी तरह नहीं समझ पाए और उन्हें लगा की ये takeoff configuration error का वार्निंग मैसेज है। 

cabin pressure वार्निंग मैसेज और takeoff configuration वार्निंग मैसेज एक जैसे ही सुनाई देते है और शायद इसीलिए पायलट्स confuse हो गए।

और अब जैसे जैसे प्लेन ऊपर जाता जा रहा था , बिना किसी की भी जानकारी के प्लेन में हवा का दबाव कम होता जा रहा था। और जब प्लेन में हवा का दबाव खतरे के निशान को पार कर गया तो पैसेंजर केबिन में आटोमेटिक तरीके से ऑक्सीजन मास्क लटकने लगे जिसके कारन कॉकपिट में भी Master Warning Alarm बजने लगा। 

और चुकी कॉकपिट में ऑक्सीजन मास्क automatically नहीं लटके थे इसलिए पायलट्स को पता ही नहीं चल पाया की प्लेन में हवा का दबाव कम हो चूका है और पैसेंजर केबिन में ऑक्सीजन मास्क लटक चुके है

और धीरे धीरे प्लेन में ऑक्सीजन कम होने के कारन पैसेंजर्स और केबिन क्रू के साथ साथ पायलट्स भी बेसुधी ही हालत में जाते जा रहे थे। ऐसे हालत में जब ऑक्सीजन धीरे धीरे कम होती है तो शरीर को पता ही नहीं चलता की कब दिमाग सुन्न हो जाता है और इंसान बेसूद हो कर मौत के मुँह में समां जाता है।

इसी कारण से जब ग्राउंड इंजीनियर रेडियो पर पायलट्स से pressurization button को चेक करने के लिए कहता है तो बेसुधी के कारन पायलट उसे समझ नहीं पाते।

और धीरे धीरे First Officer अपनी सीट पर ही बेहोस हो जाता है. उस वक़्त कप्तान कॉकपिट की पिछली तरफ इलेक्ट्रिक सर्किट को चेक करने की कोशिश कर रहा था इसलिए वो वही बेहोस हो जाता है। इसी कारन से F -16 फाइटर पायलट्स को कप्तान अपनी सीट पर दिखाई नहीं देते।

कॉकपिट voice recorder की जांच के बाद investigator ने पाया की वो अजनबी इंसान जिसे fighter पायलट्स ने कॉकपिट में आते हुए देखा था वो फ्लाइट attendant Andreas P थे , जो एक portable ऑक्सीजन सिलिंडर की मदद से कुछ देर तक होश में थे किसी तरह प्लेन को कण्ट्रोल करके क्रैश होने से बचाने की कोशिस कर रहे थे।

अगर हम बोइंग 737 प्लेन की बात करे तो जब भी प्लेन में ऑक्सीजन का दबाव कम होता है तो प्लेन में लगे हुए केमिकल यूनिट से ऑक्सीजन मास्क के द्वारा पैसेंजर केबिन और कॉकपिट में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है।  ये ऑक्सीजन सप्लाई लगभग 12 मिनट्स के लिए प्रयाप्त होती है ताकि पायलट प्लेन की हाइट काम करके उसे 10000 फ़ीट तक ले आएं. इस उचाई पर बिना ऑक्सीजन मास्क के भी पैसेंजर और केबिन क्रू आसानी से साँस ले सकते है।

लेकिन दुर्भाग्य से Helios  फ्लाइट के पायलट को प्लेन में कम हुए हवा के दबाव का पता ही नहीं चल पाया और पैसेंजर्स के साथ साथ केबिन क्रू और पायलट्स हवा में ही ख़ामोशी के साथ मौत के मुँह में समां गए।  चुकी प्लेन auto पायलट मोड पर उड़ रहा था , इसलिए जबतक प्लेन में फ्यूल ख़तम नहीं हुआ वो अपने आप उड़ता रहा और अंत में फ्यूल खत्म होने के बाद क्रैश हो गया 

इस दुर्घटना के लगभग एक साल बाद 31 october 2006 को Helios Airways ने अपनी सभी फ्लाइट्स को बंद कर दिया

मार्च 2011 में अमेरिका Federal Aviation ने सभी बोइंग 737 aircrafts  में 2 additional warning lights लगाए जाने के निर्देश दिए ताकि पायलट्स को केबिन pressurization और Take Off Configuration warnings का सही सही पता लग सके.

एविएशन दुनिया में ये बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव दे जिन्होंने हवाई यात्रा को और भी सुरक्षित बना दिया , लेकिन दुर्भाग्य से Helios एयरलाइन्स flight 522 के यात्रिओं और crew members को इन बदलाव की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

अपनी पूरी टीम और viewers के माध्यम  से हम इस हादसे में जान गवाने वाले सभी लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्राथना करते है

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